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आप्तवाणी श्रेणी-१२(उत्तरार्ध)

आप्तवाणी श्रेणी-१२(उत्तरार्ध)

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ज्ञान (आत्मज्ञान) मिलने के बाद महात्माओं को निरंतर पाँच आज्ञा में रहने के अलावा अन्य कुछ भी नहीं करना है। ये पाँच आज्ञाएँ ज्ञानविधि (आत्म-ज्ञान प्राप्त करने की विधि) द्वारा ज्ञान प्राप्त किए हुए महात्माओं के लिए ही हैं। जो पाँच आज्ञा में एक्ज़ेक्ट रहते हैं, वे भगवान महावीर जैसी दशा प्राप्त कर सकते हैं! इस पुस्तक में परम पूज्य दादाश्री के पाँच आज्ञा के अर्थ पर सत्संग हैं, पाँच आज्ञा का बेहद और संपूर्ण महत्व, व्यावहारिक कार्यों के डिस्चार्ज के समय आज्ञा में कैसे रहें, रियल और रिलटिव संयोगों के साथ कैसे बरतें, फाइलों का समभाव से निकाल कैसे करें, भरे हुए माल और कर्मों के चार्ज और डिस्चार्ज की समझ और मोक्ष के तप की आवश्यकता और अन्य बहुत सी बाबतों का समावेश हुआ है। इस प्रकार की अमूल्य समझ, हमें मोक्षमार्ग में प्रगति के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगी।

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